Sunday, July 25, 2010
डर
डर लगता है मुझे उजालों से,
मुझे तो लगाव है अंधेरों से,
उन अंधेरों से जहाँ दो बूंद आंसू बहाकर अपनी पीड़ा कम कर लेती हूँ....
ये काले अंधेरें अहसास दिलाते है,
कि मत खुश हो इन पलभर की खुशियों में,
इसके बाद तुझे इन काले अंधेरों में वापस लौटना है...
कितना सुकून है इन अंधेरों में,
ये मुझे उजालो के उस तेज़ से बचाते है,
जो मेरे जीवन में हैं ही नहीं....
पर ये क्या..!!
अब तो ये अंधेरें भी रुसवा हो गए,
इस दुखी मन को अकेला छोड़ गए...
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