कविवर पन्त ने नारी के अनेक रूपों का वर्णन करते हुए कहा है- "देवी, माँ, सहचरी, प्राण". परन्तु वास्तव में इस पुरुष प्रधान समाज में स्त्रियों को सदेव असहायता और दूसरों पर वासवत निर्भरता की शिक्षा दी गयी है. यही शिक्षा देकर पुरुष युगों से नारी पर शासन करता आ रहा है. किन्तु यह बात भी सच है कि समय के साथ साथ पुरुषों का स्त्री के प्रति यह नजरिया बदला है और पुरुषों के इस नज़रिए को बदलने का श्रेय स्वयं नारी को ही जाता है. सर्वप्रथम नारी ने पुरुषों के समान ही शिक्षा प्राप्त करने के लिए संघर्ष किया और आज शिक्षा के माध्यम से ही वह हर शेत्र में अपनी एक अलग पहचान बना रही है. राजनीति एक ऐसा शेत्र है जहाँ अधिकांश नेता पुरुष ही होते है परन्तु वर्तमान समय में अनेक ऐसे उदाहरण हैं जो इस बात को साबित करते हैं कि आज की नारी राजनीति में बढ चढ़ कर हिस्सा ले रही है. इस सूची में अनेक नाम है जैसे सोनिया गाँधी, प्रतिभा पाटिल, मीरा कुमार, सुषमा स्वराज आदि. प्रथम लोकसभा चुनाव जो १९५२ में संपन्न हुए थे, में कुल ४९९ सीटों में महिलाओ कि संख्या मात्र २२ थी. इसके बाद के लोकसभा के चुनावों में इनकी संख्या बड़ी है. १३वी लोकसभा चुनावो में कुल ५४३ सीटों में महिलाओ कि संख्या ४२ थी. वर्ष २००९ में भारतीय संसद में ५८ महिलाएं लेजिस्लेटर के पद पर नियुक्त हुई परन्तु अब भी संसद में विजयी महिलाओं का प्रतिशत १० से भी कम है.
जब हम भारतीय राजनीति क़ी बात बात करते है तो आँखों के सामने एक प्रतिबिंब छा जाता है और वह कोई और नहीं बल्कि सोनिया गाँधी का बिम्ब होता है. सोनिया गाँधी कांग्रेस पार्टी क़ी अध्यक्ष हैं. राजीव गाँधी से विवाह करने के पश्चात् सब कुछ छोड़कर हिन्दुस्तान आ गयीं और राजीव गाँधी क़ी हत्या के बाद स्वयं राजनीति में आने का फैसला किया. विपक्षी पार्टियों को ये कतई मंजूर नहीं था कई एक विदेशी महिला भारत आकर देश की राजनीति का हिस्सा बने परन्तु उन्होंने तो देश सेवा का प्रण लिया था और यह तभी संभव था जब वह राजनीति में आतीं. .उनका जन्म ९ दिसम्बर १९४६ में इटली के वनिटो शहर में हुआ. १९६९ में राजीव गाँधी से विवाह कर वह भारत आयीं. १९९८ में सोनिया गाँधी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष चुनी गयीं. २००४ के चुनावों में सोनिया गाँधी रायबरेली से बड़े अंतराल से जीती. उस समय उन्हें प्रधानमंत्री के पद पर देखा जा रहा था परन्तु विपक्षी पार्टियों ने उन्हें विदेशी मूल का कहकर इस पद पर न आने पर जोर दिया. यहाँ तक की भारतीय नागरिकता एक्ट के सेक्शन ५ के तहत इस बात का दावा किया कि वे विदेशी मूल कि हैं और भारत के प्रधानमंत्री के पद पर नियुक्त नहीं हो सकती परन्तु सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को ख़ारिज कर दिया. चुनाव के कुछ समय बाद सोनिया गाँधी ने १८ मई २००४ को प्रधानमंत्री पद के लिए नियुक्त किया. ऐसा करके उन्होंने इस बात को सिद्ध किया कि वह भारतीय राजनीति में मात्र लाभ कमाने के उद्देश्य से नहीं आयीं है बल्कि सच्ची राजनीति और देशसेवा करने आयीं हैं. चुनाव से पहले घोषणापत्र में उन्होंने इस और संकेत कर दिया था कि वह प्रधानमंत्री नहीं बनना चाहती.UPA के अध्यक्ष पद पर रहते हुए उन्होंने राष्ट्रीय ग्रामीण रोजग़ार योजना और सूचना के अधिकार अधिनियम के शेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. सोनिया गाँधी के प्रतिनिधित्व में UPA सरकार ने २००९ के चुनाव में २०६ लोकसभा सीटे जीती जो बहुमत के काफी करीब थी. सोनिया गाँधी ने सूखा पीड़ितों और गरीबों के लिए भी सराहनीय कार्य किये है. संसद के सदस्यों कि आय का २० प्रतिशत भाग सूखा प्रभावित पीड़ितों के लिए इकठ्ठा किया. ऐसे कई उदाहरण है जो यह साबित करते हैं कि सोनिया गाँधी उन सभी महिलाओ के लिए प्रेरणा है जो भारतीय राजनीति में आकर देश के विकास और देश के हित के लिए कार्य करना चाहती हैं. २००४ में फ़ोर्ब्स मेग्जिन ने सोनिया गाँधी को विश्व की शक्तिशाली महिलाओं में तीसरा स्थान प्रदान किया और २००७ में सातवाँ स्थान प्रदान किया. यदि भविष्य में सोनिया गाँधी प्रधानमंत्री बनती हैं तो वह नेहरु-गाँधी परिवार की चौथी सदस्य होंगी जो जवाहर लाल नेहरु, इंदिरा गाँधी और राजीव गाँधी के बाद चौथी प्रधानमंत्री होंगी.
भारतीय राजनीति में सोनिया गाँधी एक आदर्श हैं. वही दूसरी ओर अन्य कई उदाहरण हमारे सामने है जो यह सिद्ध करते हैं कि आज महिलाएं राजनीति में एक अलग स्थान बना रही हैं. जिनमे मीरा कुमार (लोकसभा की पहली महिला स्पीकर) और प्रतिभा पाटिल(देश की पहली महिला राष्ट्रपति) का नाम सर्वोपरि है.वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखकर यह कहा जा सकता है कि भविष्य में महिलाएं राजनीति में बढ चढ़ कर हिस्सा लेंगी और देश हित के लिए कार्य करेंगी.
जब हम भारतीय राजनीति क़ी बात बात करते है तो आँखों के सामने एक प्रतिबिंब छा जाता है और वह कोई और नहीं बल्कि सोनिया गाँधी का बिम्ब होता है. सोनिया गाँधी कांग्रेस पार्टी क़ी अध्यक्ष हैं. राजीव गाँधी से विवाह करने के पश्चात् सब कुछ छोड़कर हिन्दुस्तान आ गयीं और राजीव गाँधी क़ी हत्या के बाद स्वयं राजनीति में आने का फैसला किया. विपक्षी पार्टियों को ये कतई मंजूर नहीं था कई एक विदेशी महिला भारत आकर देश की राजनीति का हिस्सा बने परन्तु उन्होंने तो देश सेवा का प्रण लिया था और यह तभी संभव था जब वह राजनीति में आतीं. .उनका जन्म ९ दिसम्बर १९४६ में इटली के वनिटो शहर में हुआ. १९६९ में राजीव गाँधी से विवाह कर वह भारत आयीं. १९९८ में सोनिया गाँधी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष चुनी गयीं. २००४ के चुनावों में सोनिया गाँधी रायबरेली से बड़े अंतराल से जीती. उस समय उन्हें प्रधानमंत्री के पद पर देखा जा रहा था परन्तु विपक्षी पार्टियों ने उन्हें विदेशी मूल का कहकर इस पद पर न आने पर जोर दिया. यहाँ तक की भारतीय नागरिकता एक्ट के सेक्शन ५ के तहत इस बात का दावा किया कि वे विदेशी मूल कि हैं और भारत के प्रधानमंत्री के पद पर नियुक्त नहीं हो सकती परन्तु सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को ख़ारिज कर दिया. चुनाव के कुछ समय बाद सोनिया गाँधी ने १८ मई २००४ को प्रधानमंत्री पद के लिए नियुक्त किया. ऐसा करके उन्होंने इस बात को सिद्ध किया कि वह भारतीय राजनीति में मात्र लाभ कमाने के उद्देश्य से नहीं आयीं है बल्कि सच्ची राजनीति और देशसेवा करने आयीं हैं. चुनाव से पहले घोषणापत्र में उन्होंने इस और संकेत कर दिया था कि वह प्रधानमंत्री नहीं बनना चाहती.UPA के अध्यक्ष पद पर रहते हुए उन्होंने राष्ट्रीय ग्रामीण रोजग़ार योजना और सूचना के अधिकार अधिनियम के शेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. सोनिया गाँधी के प्रतिनिधित्व में UPA सरकार ने २००९ के चुनाव में २०६ लोकसभा सीटे जीती जो बहुमत के काफी करीब थी. सोनिया गाँधी ने सूखा पीड़ितों और गरीबों के लिए भी सराहनीय कार्य किये है. संसद के सदस्यों कि आय का २० प्रतिशत भाग सूखा प्रभावित पीड़ितों के लिए इकठ्ठा किया. ऐसे कई उदाहरण है जो यह साबित करते हैं कि सोनिया गाँधी उन सभी महिलाओ के लिए प्रेरणा है जो भारतीय राजनीति में आकर देश के विकास और देश के हित के लिए कार्य करना चाहती हैं. २००४ में फ़ोर्ब्स मेग्जिन ने सोनिया गाँधी को विश्व की शक्तिशाली महिलाओं में तीसरा स्थान प्रदान किया और २००७ में सातवाँ स्थान प्रदान किया. यदि भविष्य में सोनिया गाँधी प्रधानमंत्री बनती हैं तो वह नेहरु-गाँधी परिवार की चौथी सदस्य होंगी जो जवाहर लाल नेहरु, इंदिरा गाँधी और राजीव गाँधी के बाद चौथी प्रधानमंत्री होंगी.
भारतीय राजनीति में सोनिया गाँधी एक आदर्श हैं. वही दूसरी ओर अन्य कई उदाहरण हमारे सामने है जो यह सिद्ध करते हैं कि आज महिलाएं राजनीति में एक अलग स्थान बना रही हैं. जिनमे मीरा कुमार (लोकसभा की पहली महिला स्पीकर) और प्रतिभा पाटिल(देश की पहली महिला राष्ट्रपति) का नाम सर्वोपरि है.वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखकर यह कहा जा सकता है कि भविष्य में महिलाएं राजनीति में बढ चढ़ कर हिस्सा लेंगी और देश हित के लिए कार्य करेंगी.
महिलाऐं कंधे से कन्धा मिलकर देश को गौरवशाली बना सकती हैं|
ReplyDeleteहिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
ReplyDeleteकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें
सुंदर अभिव्यक्ति. आपके ब्लाग पर आकर अच्छा लगा.. चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है... हिंदी ब्लागिंग को आप नई ऊंचाई तक पहुंचाएं, यही कामना है....
ReplyDeleteइंटरनेट के जरिए अतिरिक्त आमदनी के लिए यहां पधारें - http://gharkibaaten.blogspot.com
"भविष्य में महिलाएं राजनीति में बढ चढ़ कर हिस्सा लेंगी और देश हित के लिए कार्य करेंगी"
ReplyDeleteलेना भी चाहिए - प्रेरक आलेख
Hindi blog jagat men apka svagat hai.Meree shubhkamnayen.
ReplyDeletePoonam