Sunday, August 8, 2010













माँ का दर्द
चारो तरफ खुशियों का माहोल था. सब एक दूसरे को बधाई दे रहे थे. हर कोई एक दूसरे को बधाई देकर एक ही बात कह रहा था मुबारक हो!! बेटा हुआ है. नवजात बच्चे को देखने आने वाले लोगो का ताँता लगा हुआ था और सभी का मुह मीठा करवाया जा रहा था. पर कुछ ही समय बाद डॉक्टर ने बताया कि बच्चे की हालत ठीक नहीं है और जल्द ही बच्चो के अस्पताल में भर्ती कराना होगा. इतना सुनते हे वहां मोजूद सारी महिलाएं रोने -पीटने लगी और बच्चे की माँ को कोसने लगी क्योकि माँ की ही जिद्द थी कि वह बच्चे को जन्म अस्पताल में देगी न कि किसी दायी के हाथों. कुछ दकियानूसी महिलाएं डॉक्टर को ही अपशब्द कहने लगी. देखते देखते जच्चा और बच्चा दोनों को घर ले आया गया. बच्चे की माँ रोती बिलखती रही, अपने बच्चे कि जिन्दगी बचाने की दुहाई देती रही पर कुछ लोगो की दकियानूसी सोच के कारण बच्चे ने इलाज के आभाव में दम तोड़ दिया और एक माँ को बच्चे से हमेशा के लिए अलग कर दिया. फिर क्या था हम इंसानों कि गलतियों के कारण एक मासूम जान हमसे दूर हो गयी. खुशियों का माहोल गमगीन माहोल में बदल गया.
ये घटना एक सच्ची घटना है जो २७ जुलाई को मेरे घर के ही एक पड़ोस के मकान में घटी. इस घटना का यथार्थ वर्णन मेरी माँ ने किया और मैं इसे आज लिपिबद्ध कर रही हूँ. ये मात्र एक घटना ही नहीं है. ये अपने साथ कई ऐसे प्रश्नों को भी खड़ा कर रही है जिनके जवाब हमे हे खोजने हैं. आखिर कब तक शिक्षा के अभाव में लोग अन्धविश्वास के साएँ में जीते रहेंगे.. आखिर क्यों एक स्त्री दूसरी स्त्री को मनहूस और कलंकनी जैसे शब्दों से संबोधित करती है. भले ही सरकार और कुछ गैर सरकारी संस्थाएं गाँव और शहरों में शिक्षा के स्तर पर कई जागरूक कार्यक्रम चला रही है पर हमे खासकर युवा पीड़ी की भी ये ज़िम्मेदारी है कि हम जगह-जगह खासकर गाँव में जाकर लोगो को शिक्षा के महत्त्व के बारे में बताये और उन्हें इस बात के लिए तैयार करे कि वे घरों से बाहर आये और स्कूल कालेजों तक पहुंचे. भारत में ऐसी घटनाये आये दिन घटती है जो शिक्षा के अभाव में घट रही हैं. इन्हें रोकने के लिए शिक्षा का प्रसार व प्रचार बेहद जरुरी है.

4 comments:

  1. bahut khoob dil ko chhoo gye aatma ko marod diya jhakjhor diya aakhaon me aansu de diya .....bhahut achha likha Ms Renu isko read karke aaj ki yuva pidi jaroor kuchh seekhegi...

    bahut achha

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  3. Us maa ko kaisa feel ho raha hoga.......ye shayad shabdo main bayan nahi kiya ja sakta hai....kehne ke liye hum(Bharat)vishwa ki 4th strongest country....but ye hi humari sachia hai ki hum aaj bhi bahut piche hai.....log sanskar ki aad mai ye sab karte hain....har insaan ko jagna hoga...khud kuch kadam uthane honge....apne ankhon dekha jo kuch likha hai bahut acha likha hai....is woh dard dikhta jo us us maa ki aankhon mai hai...jisne apne dil ke tukde ko kho diya hai....keep it up...and best of luck.

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  4. dil ko chu lene wali story hei aur bahut dard se bhari hei, aur ek Maa ko apne bachche ko khone ka dard in sab orthodox baaton ki wajah se, hum chahe apni soch jitni bhi badal le lekin agar kuch galat hota hei to uska sara blam sirf aur sirf ek aurat aur ek maa aur ek ladki ko hi kyo diya jata hei, shayd iska answer kabhi koi nahi jaan payega aur shayad na hi kabhi koi jaan paya hei aur yaha to ek aurat hi dusri aurat ko kaus rahi hei jisko us samay uska dard samajhana chahiye

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